बड़े खुदगर्ज हैं बड़े शहरों के रस्ते ,
इज्जत बचाते हमने छोटी गलियों को देखा हैं 

बड़ा नाम इन शहरों का ,
छोटी गलियों में छिपते हमने देखा हैं 
गली गली में बस रहे थे, कई हिरे अनेक ,
अंधेरिसी गलियो में चमकते हमने देखा हैं ,
ये मेरी चाह  थी ललकारु उन शहरों को 
जिनसे हमारी ख्वाइशे टुटते हमने देखा हैं ,

बड़े खुदगर्ज हैं बड़े शहरों के रस्ते ,
इज्जत बचाते हमने छोटी गलियों को देखा हैं 

By Chandrakant Ubhe

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